नई दिल्ली। नागपुर में आयोजित ‘उत्कृष्ट भारत’ कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने बड़ा बयान देते हुए कहा कि हम अलग दिख सकते हैं, हम अलग-अलग चीजें खा सकते हैं लेकिन अस्तित्व में एकता है। हमें आगे कुछ ऐसे बढ़ना है जो दुनिया भारत से सीख सकती है। कहा कि समाज और देश के लिए काम करने का संकल्प लें। हम देश के लिए फांसी पर चढ़ेंगे, हम देश के लिए काम करेंगे, हम भारत के लिए गीत गाएंगे। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि हमारा जीवन भारत को समर्पित होना चाहिए। मोहन भागवत ने आगे कहा कि भारत जिस तरीके से विविधता को समेटे हुए है, उसके लिए दुनिया उसकी सराहना करती है। इसके साथ ही अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि जब विविधता को प्रभावी तरीके से आत्मसात करने की बात आती है, तो दुनिया भारत की ओर देखती है। दुनिया विरोधाभासों से भरी हुई लेकिन द्वंद्व से निपटने का हुनर केवल भारत के पास है। भागवत ने कहा कि कई ऐतिहासिक घटनाएं रही हैं, जो हमें कभी नहीं बतायी गयी और न ही उचित तरीके से कभी पढ़ाई गयी। उन्होंने कहा कि उदाहरण के लिए संस्कृत का व्याकरण जिस स्थान से उपजा, वह भारत में नहीं है। क्या हमने कभी सवाल पूछा कि क्यों?