अनिल अंबानी की मुश्किलें बढ़ती ही जा रही है। कर्ज में डूबी रिलायंस कैपिटल बिकने का नाम नहीं ले रही है। अब खबर है कि दिवालिया प्रक्रिया से गुजर रही उनकी कंपनी रिलायंस कैपिटल की नीलामी प्रक्रिया से पांच बड़े बोलीदाताओं ने अपनी बोलियों को वापस ले लिया है। इन पांच कंपनियों में अडानी और टाटा ग्रुप भी शामिल हैं। फाइनेंशियल एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, कर्ज में फंसी रिलायंस कैपिटल (RCAP) की संपत्ति को खरीदने की दौड़ से अडानी और टाटा बाहर समेत पांच प्रमुख बिडर्स बाहर हो गए। बड़े बोलीदाताओं में अब केवल पीरामल इंटरप्राइजेज का नाम ही रह गया है।
ये कंपनियां हुई बाहर
सूत्रों के मुताबिक, इस प्रक्रिया से बाहर निकलने के लिए नवीनतम निजी इक्विटी प्रमुख ब्लैकस्टोन, एचडीएफसी एर्गो, आईसीआईसीआई लोम्बार्ड और टाटा समूह की बीमा कंपनी और अडानी समूह हैं। टाटा संस की सहायक कंपनी टाटा एआईजी जनरल इंश्योरेंस कंपनी ने पहले आरकैप की सामान्य बीमा यूनिट को खरीदने के लिए दिलचस्पी दिखाई थी। FE की खबर के मुताबकि, पीरामल एंटरप्राइजेज रिलायंस कैपिटल को खरीदने के लिए अभी भी रेस में है और वे फंड के लिए यस बैंक और टोरेंट ग्रुप से बातचीत कर रहा है। इसके अलावा, ज्यूरिख इंश्योरेंस ने आरकैप के सामान्य बीमा क्लस्टर के लिए और चोलामंडलम समूह ने अपने जीवन बीमा क्लस्टर के लिए रुचि दिखाई है।
बिडर्स के पास थे दो विकल्प
लेंडर्स द्वारा जारी रिक्वेस्ट फॉर रिजॉल्यूशन प्लान (RFRP) के अनुसार, बिडर्स के पास दो विकल्प होते हैं – या तो कंपनी की संपूर्ण संपत्ति के लिए बोली लगाएं या इसके एक या अधिक क्लस्टर (सब्सिडियरी कंपनियों) के लिए। बता दें कि रिलायंस की सहायक कंपनियां रिलायंस जनरल इंश्योरेंस, रिलायंस निप्पॉन लाइफ इंश्योरेंस, रिलायंस एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी, रिलायंस सिक्योरिटीज, रिलायंस कमर्शियल फाइनेंस और रिलायंस होम फाइनेंस हैं।
दो महीने के लिए बढ़ाई गई डेडलाइन
बता दें कि रिलायंस कैपिटल लिमिटेड के अधिग्रहण की कवायद को बोलीदाताओं की ओर से मिली ठंडी प्रतिक्रिया को देखते हुए कंपनी के लेनदारों ने समाधान प्रक्रिया की समयसीमा दो महीने के लिए बढ़ाकर दो नवंबर कर दी है। यह समयसीमा पहले ही तीन जून से 90 दिन बढ़ाकर दो सितंबर 2022 की गई थी। कर्जदाताओं की समिति (सीओसी) ने आरसीएल की समाधान प्रक्रिया के लिए इसे दूसरी बार बढ़ाया है।